Chaitra Purnima 2024: – चैत्र पूर्णिमा कब है, जान ले तिथि,शुभ मुहरत और महत्व और इस दिन व्रत का शुभ लाभ…. इस साल चैत्र पूर्णिमा (Chaitra Purnima 2024) 23 अप्रैल मंगलवार को मनाई जाएगी। इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की आराधना की जाती है। इसे चैती पूनम के नाम से भी जाना जाता है। पूर्णिमा तिथि को मंत्र सिद्धि प्राप्ति के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। इस अवसर पर भक्त एकाग्रता में सुधार पाने के लिए पूर्णिमा तिथि पर चंद्रमा की भी पूजा करते है।
इस साल चैत्र पूर्णिमा 23 अप्रैल मंगलवार को मनाई जाएगी। चैत्र पूर्णिमा गुड़ी पाड़वा और चैत्र नवरात्र के बाद आती है। सनातन धरम मे चैत्र पूर्णिमा का बड़ा महत्व है। इसे चैती पूनम के नाम से भी जाना जाता है, इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है, इसके साथ ही चंद्र देव की पूजा का भी बड़ा महत्व है। पूर्णिमा तिथि को मंत्र सिद्धि प्राप्ति के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। मान्यता के अनुसार इस दिन की हुवी सिद्धियाँ आसानिसे हासिल कर सकते है।
इस साल चैत्र पूर्णिमा (Chaitra Purnima 2024) 23 अप्रैल को मनाई जाएगी। इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की आराधना की जाती है। सनातन धरम मे चैत्र पूर्णिमा का बड़ा महत्व है। चैत्र महीने की पूर्णिमा को हनुमान जयंती और कामदा एकादशी के रूप में भी जाना जाता है। पूर्णिमा तिथि को मंत्र सिद्धि प्राप्ति के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। मान्यता के अनुसार इस दिन की हुवी सिद्धियाँ आसानिसे हासिल कर सकते है। चैत्र पूर्णिमा के दिन व्रत रखने से और भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा, आराधना करने से भक्तों के सारे कष्ट दूर होते है। पापों का नाश होके मोक्ष की प्राप्ति होती है।
(Chaitra Purnima 2024) चैत्र पूर्णिमा तिथि, स्नान, दान का समय
इस साल चैत्र माह की पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 23 अप्रैल सुबह 03 बजकर 25 मिनट पर होगी। इसका समापन अगले दिन 24 अप्रैल सुबह 05 बजकर 18 मिनट पर होगा। चैत्र पूर्णिमा का व्रत और स्नान-दान 23 अप्रैल को होगा।
चैत्र पूर्णिमा शुभ मुहरत (Chaitra Purnima 2024) –
अभिजीत मुहूर्त – सुबह 11 बजकर 53 मिनट से दोपहर 12 बजकर 46 मिनट तक
चंद्रमा उदय – शाम 06 बजकर 25 मिनट पर
चंद्रमा पूजा – शाम 06 बजकर 25 मिनट के बाद
चैत्र पूर्णिमा पूजा विधि –
धार्मिक मान्यता अनुसार चैत्र पूर्णिमा पर गंगा में स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसिलिए इस दिन गंगा स्नान का बडाही महत्व है। इसिलिए साधक अपने दिन की शुरुआत गंगा नदी में स्नान करके करे। इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की श्रद्धा भाव से पूजा आर्चना करे। भक्त अपने सुख और मानसिक शांति के लिए लिए पूर्णिमा तिथि पर चंद्रमा की भी पूजा करें। इस दिन सफेद खीर का भोग लगाने का विधान है। भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की आराधना कर के विष्णु मंत्रों का इस प्रकार जाप करे “ॐ नामों भगवाते वासुदेवाय नमः”, “ॐ गं गणपते नमः”, “ॐ हनुमाते नमः” इस के अलावा आपको जो मंत्र प्रिय है उसका भी जाप कर सकते है।
इसके अलावा लोग इस शुभ दिन पर गंगा नदी में स्नान से पवित्र होने के लिए प्रयागराज, हरिद्वार व ऋषिकेश जैसे – पवित्र स्थानों की यात्रा भी करते हैं।
चैत्र पूर्णिमा व्रत रखने के शुभ फल –
चैत्र पूर्णिमा व्रत रखने के शुभ फल –
जीवन मे सुख-समृद्धि प्राप्त होती है।
आध्यात्मिक प्रगति होती है और सकारात्मक विचारों का विकास होता है।
मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है।
भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की आराधनासे अनेक सिद्धियाँ मिलती है।
पापोंका नाश होके जीवन मे खुशाली आती है।
निरोगी शरीर और मन को शांति मिलती है।
इस दिन के पवित्र गंगा स्नान से अनेक मानसिक और शारीरिक रोगों का नाश होता है।