Siddhivinayak Temple: – सिद्धिविनायक मंदिर की अनसुनी कहानी और इतिहास

Siddhivinayak Temple –  महाराष्ट्र की मायानगरी मुंबई मे स्थित सिद्धिविनायक मंदिर तो सभी जानते है। सिद्धिविनायक मंदिर मे रोज लाखों भक्त दर्शन के लिए आते है। इस मंदिर में आने वाले भक्तों को गणेश के ऊपर अटूट विश्वास होता है। भक्तों का मानना है की सिद्धिविनायक दर्शन से सभी मनोकामना पूर्ण होती है, सारे कष्ट दूर होते है।

चलिए जान लेते है सिद्धिविनायक मंदिर का इतिहास –

Siddhivinayak Temple

सिद्धिविनायक मंदिर का इतिहास – 

महाराष्ट्र की मायानगरी मुंबई मे स्थित सिद्धिविनायक मंदिर तो सभी जानते है। इसका इतिहास ऐसा है की – सिद्धिविनायक मंदिर (Siddhivinayak Temple) भारत में श्री गणेश के सबसे प्रमुख मंदिरों में से एक है। सिद्धिविनायक मंदिर भारत का एक ऐसा प्रसिद्ध मंदिर है जो भगवान गणेश को समर्पित है। इस मंदिर का निर्माण वर्ष 1801 में लक्ष्मण विठू और देउबाई पाटिल ने करवाया था। माना जाता है कि, इस दंपत्ति की कोई संतान नहीं थी और उन्होंने फिर द्धिविनायक मंदिर बनाने का फैसला किया ताकि यहां बांझ महिलाओं की इच्छा पूरी हो सके और सिद्धिविनायक के आशीर्वाद से जीवन में कोई भी महिला बांझ न हो और सभी को संतानसुख की प्राप्ति हो।

क्यों कहते है सिद्धिविनायक – 

सिद्धिविनायक मंदिर एक चमत्कारी मंदिर है, जिसकी वजह से लाखों लोग श्री गणेश भगवान के दर्शन के लिए आते हैं। मंदिर के गर्भग्रह के चबूतरे पर स्वर्ण शिखर वाला चांदी का सुंदर मंडप है, जिसमें भगवान सिद्धिविनायक अपनी दोनों पत्नी माता रिद्धि और माता सिद्धि के साथ विराजमान हैं। सिद्धिविनायक मंदिर में भगवान गणेश की प्रतिमा काले पत्थर से बनाई गई है,  इस मंदिर में स्थापित  भगवान गणेश मूर्ति के पीछे एक बहुत खास कहानी है। इस मंदिर का नाम सिद्धिविनायक इसलिए पड़ा क्योंकि इस मंदिर में गणेश जी की मूर्ति की सूड दाई ओर मुड़ी हैं, तात्पर्य है कि दाहिनी ओर मुड़ी गणेश प्रतिमाएं सिद्ध पीठमंदिर की होती हैं, सिद्धिविनायक मंदिर में गणेश जी की जो प्रतिमा है, वह दाईं ओर मुड़े सूड़ वाली है। यानी यह मंदिर भी सिद्ध पीठ है। भगवान के शरीर से ही इस मंदिर का नाम सिद्धिविनायक पड़ा है।

 

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मन्नाते पूरी करने वाला गणपती

सिद्धिविनायक मंदिर मे रोज लाखों भक्त दर्शन के लिए आते है। इस मंदिर में आने वाले भक्तों को गणेश के ऊपर अटूट विश्वास होता है। इस मंदिर मे आने वाले भक्तों का मानना है की, इस गणेशजी के दर्शनसे बोहत खुशी मिलती है, एक अलग ही अनुभव देखने को मिलता है। गणेशजी हर भक्त की  मनोकामना पूर्ति करते है। इसिलिए सिद्धिविनायक को मुंबई के भक्त नवसाचा गणपती, नवसाल पावणारा गणपती कहते है, इसका मतलब मन्नते पूरी करने वाला

सिद्धिविनायक मंदिर के दर्शन से गणेश भक्त की सारी मन्नते पूरी होती है, उसके सारे कष्ट पलभर मे मीट जाते है, इसी कारण  बॉलीवुड के बड़े कलाकार हो या बड़े व्यापारी, अपनी सफलता की कामना लिए अक्सर यहां पर माथा टेकने आते है। जिन भक्तों की यहां मनोकामना पूरी होती है, वे यहां पर गुप्तदान करके जाते हैं।

सिद्धिविनायक मंदिर में श्री गणेश जी की जो मूर्ति है, वो ढाई फीट चौड़ी है और काले रंग के पत्थरों से बनी हुई है। मंदिर में श्री गणेश की मूर्ति की सूंड दाईं ओर मुड़ा है और उनकी चार भुजाएँ हैं और जिसकी वजह से उन्हें ‘चतुर्भुज’ भी कहा जाता है। श्री गणेश जी की मूर्ति के ऊपरी दाहिने हाथ में एक कमल, अपने ऊपरी बाएं हाथ में एक छोटी कुल्हाड़ी और नीचे के दाहिने हाथ में मोतियों की माला और बाएं हाथ में उनके पसंदीदा मोदक से भरा कटोरा है। मस्तक पर गणेश जी के पिता भगवान शिव के समान तीसरा नेत्र और गले में एक सर्प हार भी है।

इस मंदिर मे सिद्धिविनायक के दोनों पत्नियाँ माता रिद्धी और माता सिद्धि मौजूद हैं जो धन, ऐश्वर्य, सफलता और सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करने का प्रतीक है।

सिद्धिविनायक मंदिर मे दो बड़ी चाँदीके मूषक की प्रतिमाएं स्तापित है,  जो की गणपति को अत्यंत प्रिय है और गणपती का वाहन भी तो मूषक ही है। ऐसी मान्यता है की जो भी गणेश भक्त अपनी मनोकामना इस मूषक के कान मे बोलेगा तो व्हो पूरी होती है। क्यों के मूषक भक्त की मनोकामना गणपती तक पोहोनचता है।

 

 

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