Chaiti Chhath 2024: – 15 अप्रैल को सूर्य को अर्घ्य देन के बाद होगा चैती छठ व्रत पारण।

Chaiti Chhath 2024: – 15 अप्रैल को सूर्य को अर्घ्य देन के बाद होगा चैती छठ व्रत पारण। नवरात्रि की तरह छठ पूजा भी साल में 2 बार होती है. एक चैत्र माह में और दूसरा कार्तिक माह में, का पर्व चार दिनों का होता है.  इस साल चैत्री छठ पूजा की शुरुआत 12 अप्रैल से शुरू हो गई है,  और समाप्ति 15 अप्रैल को पारण करने के साथ होगी। छठ पूजा में शुद्धता का विशेष ध्यान रखा जाता है.छठ पूजा व्रत सभी व्रत त्योहारों में कठिन है क्योंकि पूरे 36 घंटे का व्रत होता है।  इस त्योहार मे  में महिलाएं अपनी संतान और  पति की दीर्घायु की कामना के लिए छठ पूजा का व्रत रखती हैं. छठ माता से अपनी संतान की रक्षा और पूरे परिवार की सुख शांति के लिए  प्रार्थना की जाती है। वहीं सूर्यदेव के आशीर्वाद से जीवन में ऊर्जा और सुख-समृद्धि बनी रहती है। चैती छठ का त्योहार बिहार और पूर्वांचल इलाके में काफी उत्साह से मनाया जाता है। इन मे से जो लोग देश और राज्य के बाहर गए वो भी अपने-अपने शहरों  देशों में इस त्योहार को धूमधाम से मना रहे हैं।

Chaiti Chhath 2024

Chaiti Chhath 2024: –  पारण

रविवार यानि 14 अप्रैल को सूर्यास्त के समय शाम को अर्घ्य देकर 15 अप्रैल सोमवार को उदयाचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने के साथ पारण के उपरांत चार दिवसीय चैती छठ व्रत संपन्न हो जाएगा। इस त्योहार मे चैती छठ का पारण और क्या महत्व है जान लेंगे।

रविवार यानि 14 अप्रैल को सूर्यास्त के समय शाम को अर्घ्य देकर 15 अप्रैल सोमवार को उदयाचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने के साथ पारण के उपरांत चार दिवसीय चैती छठ व्रत संपन्न हो जाएगा।

12 अप्रैल 2024 – नहाय खाय

13 अप्रैल 2024 – खरना

14 अप्रैल 2024 –  संध्या अर्घ्य

15 अप्रैल 2024 दिन सोमवार को उगते हुए सूर्य और पारण किया जाएगा.

Chaiti Chhath 2024: – महत्व

कार्तिक शुक्ल पक्ष की षष्ठी को होने वाली छठ पूजा की तरह ही चैत्र माह में भी छठ पूजा होती है। इस छठ को यमुना छठ के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता है कि इस दिन यमुना देवी पृथ्वी पर प्रकट हुई थीं। धार्मिक मान्यतानुसार छठी की पूजा, आराधन करने से माता की बनी रहती है।  परिवार मे सुख शांति आती है, माना जाता है की छठ पूजा व्रत से  संतान और पति आयु लंबी होती है। इस व्रत मे सूर्य देव को भी बड़ी श्रद्धा भाव से पूजा जाता है। वहीं सूर्यदेव के आशीर्वाद से जीवन में ऊर्जा और सुख-समृद्धि बनी रहती है। इस व्रत से हर मानोकामना पूरी होती है। पहले दिन नहाय – खाय से व्रत की शुरुवात हो चुकी है। धार्मिक मान्यता अनुसार खरना यानि शुद्धिकरण, व्रत रखने वाली महिला खाए के दिन 36 घंटे का व्रत, पूजा – आर्चना, प्रार्थना और छठी माता की आराधना से मन और शरीर शुद्ध कर लेती है। इसिलिए इसे खरना कहा जाता है। धार्मिक मान्यता अनुसार छठ पर्व की शुरुवात इसी दिन से होती है। खरना के दी व्रत रखने वाली महिला और सभी महिलाये सुबह जल्दी उठकर, स्नान करके नए कपड़े पहनते है, अच्छे से तयार होती है, नारंगी सिंदूर से अपनी पूरी मांग भरती है। इस दी अपने घर मे शाम को लकड़ी के चूल्हे पर पूजा के बाद व्रत करने वाली महिलाएं कच्चे दूध का शरबत और साथ ही अरवा चावल,  और गुड़ से बनी खीर, रोटी आदि  बनाकर  प्रसाद तयार करती है।

रविवार यानि 14 अप्रैल को सूर्यास्त के समय शाम को अर्घ्य देकर 15 अप्रैल सोमवार को उदयाचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने के साथ पारण के उपरांत चार दिवसीय चैती छठ व्रत संपन्न हो जाएगा। इस त्योहार मे चैती छठ का पारण और क्या महत्व है जान लेंगे।

पूजा के बाद व्रत करने वाली महिलाएं कच्चे दूध का शरबत और साथ ही अरवा चावल, गंगा जल और गुड़ से बनी खीर, रोटी आदि का प्रसाद, थोड़ा ग्रहण करके व्रत को पूरा करती हैं, जिसे पारण कहा जाता है.

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