Varuthini Ekadashi 2024: – कब है वरुथीनी एकादशी, शुभ मुहूर्त, आरती और कथा

Varuthini Ekadashi 2024 : –  हिंदू कैलेंडर के अनुसार हर साल वैशाख माह के कृष्ण पक्ष में आने वाली एकादशी तिथि पर वरुथिनी एकादशी का व्रत रखा जाता है, इस बार यह एकादशी 4 मे शनिवार के दिन है। इस दिन व्रत रखने से श्री भगवान विष्णु का  आशीर्वाद मिलता है। साथ ही इससे व्यक्ति के सभी पापोंका अंत होता है, और पुण्यफलों की प्राप्ति होती है। यह भी माना जाता है कि वरुथिनी एकादशी का व्रत करने से साधक को मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है। वरुथिनी एकादशी के दिन विष्णु के वराह अवतार की पूजा की जाती है।

चलिए जान लेते हैं वरुथीनी एकादशी का आरती ,  पूजा विधि का शुभ मुहूर्त और कथा

Varuthini Ekadashi 2024

वरुथीनी एकादशी का शुभ मुहूर्त -Varuthini Ekadashi 2024 

वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 3 मे शुक्रवार को रात 11 बजकर 24 मिनट पर आरंभ होगा और तिथि समापन 04 मे शनिवार को रात 08 बजकर 38 मिनट पर समाप्त होगी। वही  उदया तिथि के अनुसार, वरुथिनी एकादशी का व्रत 04 मे  शनिवार के दिन किया जाएगा।

वरुथीनी एकादशी की कथा –

पौराणिक कथा के अनुसार, प्राचीन काल मे मंधाता नामक राजा नर्मदा नदी के तट पर बसे अपने राज्य पर शासन करते थे। राजा बड़े धार्मिक तपस्वी थे, व्हो हमेशा पूजा, पाठ,ध्यान मे लिन रहते थे। एक दिन राजा भगवान विष्णु की तपस्या मे जंगल मे बैठे थे, तभी एक भालू उनपर हमला कर दिया और उनका एक पैर पकड़के घसीटने लगा, मंधाता राजा अपने ध्यान मे इतने विलीन थे की, इतना सब होगया, तो भी व्हो शांत बैठकर भगवान विष्णु से अपने प्राण की रक्षा के लिए प्रार्थना करने लगे।

तभी भगवान विष्णु आकर भालू का वध करके राजा की जान बचाई। लेकिन तब तक राजा का एक पैर भालू ने पूरा तोड़ दिया था। यह देखकर राजा मांधाता दुखी हो गए। तब भगवान विष्णु ने कहा कि तुम्हारे  पिछले जन्म में जो कर्म किए थे, उसका ही यह परिणाम है। मथुरा जाकर वरुथिनी एकादशी का व्रत करने के लिए कहा और विष्णु के वराह स्वरूप की पूजा करना। उस व्रत के पुण्य से खोया हुवा अंग वापस मिलेगा।

इस प्रकार मांधाता राजा भगवान विष्णु के आदेश अनुसार मथुरा जाकर वरुथिनी एकादशी के दिन विधि विषाण के साथ व्रत किया। भगवान विष्णु के वराह अवतार की आराधना की इस व्रत से  राजाको खोया हुवा अपना अंग वापस मिल गया। राजा के सारे कष्ट दूर होके. जीवन मे सुख, समृद्धि का आगमन हो गया, सभी पाप नष्ट होके सुखी जीवन प्राप्त हो गया।

 

जो व्यक्ति वरूथिनी एकादशी का व्रत रखता है, उसकी हर मानोकामना पूर्ति होती है। सारे पापों का नाश होके सुख समृद्धि मिलती है।

वरुथीनी एकादशी की आरती –

 

ॐ जय एकादशी माता, जय एकादशी माता

विष्णु पूजा व्रत को धारण कर, शक्ति मुक्ति पाता॥

॥ॐ जय एकादशी…॥

तेरे नाम गिनाऊं देवी, भक्ति प्रदान करनी

गण गौरव की देनी माता, शास्त्रों में वरनी॥

॥ॐ जय एकादशी…॥

मार्गशीर्ष के कृष्णपक्ष की उत्पन्ना, विश्वतारनी जन्मी

शुक्ल पक्ष में हुई मोक्षदा, मुक्तिदाता बन आई॥

॥ॐ जय एकादशी…॥

पौष के कृष्णपक्ष की, सफला नामक है

शुक्लपक्ष में होय पुत्रदा, आनन्द अधिक रहै॥

॥ॐ जय एकादशी…॥

नाम षटतिला माघ मास में, कृष्णपक्ष आवै

शुक्लपक्ष में जया, कहावै, विजय सदा पावै॥

॥ ॐ जय एकादशी…॥

पापमोचनी फागुन कृष्णपक्ष में शुक्ला पापमोचनी

पापमोचनी कृष्ण पक्ष में, चैत्र महाबलि की॥

॥ ॐ जय एकादशी…॥

चैत्र शुक्ल में नाम पापमोचनी, धन देने वाली

नाम बरुथिनी कृष्णपक्ष में, वैसाख माह वाली॥

॥ ॐ जय एकादशी…॥

शुक्ल पक्ष में होय मोहिनी अपरा ज्येष्ठ कृष्णपक्षी

नाम निर्जला सब सुख करनी, शुक्लपक्ष रखी॥

॥ ॐ जय एकादशी…॥

योगिनी नाम आषाढ में जानों, कृष्णपक्ष करनी

देवशयनी नाम कहायो, शुक्लपक्ष धरनी॥

॥ ॐ जय एकादशी…॥

कामिका श्रावण मास में आवै, कृष्णपक्ष कहिए

श्रावण शुक्ला होय पवित्रा आनन्द से रहिए॥

॥ ॐ जय एकादशी…॥

अजा भाद्रपद कृष्णपक्ष की, परिवर्तिनी शुक्ला

इन्द्रा आश्चिन कृष्णपक्ष में, व्रत से भवसागर निकला॥

॥ॐ जय एकादशी…॥

पापांकुशा है शुक्ल पक्ष में, आप हरनहारी

रमा मास कार्तिक में आवै, सुखदायक भारी॥

॥ॐ जय एकादशी…॥

देवोत्थानी शुक्लपक्ष की, दुखनाशक मैया

पावन मास में करूं विनती पार करो नैया॥

॥ ॐ जय एकादशी…॥

परमा कृष्णपक्ष में होती, जन मंगल करनी

शुक्ल मास में होय पद्मिनी दुख दारिद्र हरनी॥

॥ ॐ जय एकादशी…॥

जो कोई आरती एकादशी की, भक्ति सहित गावै

जन गुरदिता स्वर्ग का वासा, निश्चय वह पावै॥

॥ ॐ जय एकादशी…॥

 

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