duniyakinews.com

Ujjain Mahakaal Mandir: – उज्जैन महाकाल मंदिर एक रहस्यमई मंदिर, (श्री महाकालेश्वर की महिमा)

 राहस्यमई मंदिर – 

Ujjain Mahakaal Mandir  :-   उज्जैन महाकाल मंदिर अपने आप मे एक रहस्यमई मंदीर माना जाता है। उज्जैन के महाकालेश्वर भारत के बारह प्रसिद्ध जोतिर्लिंगों मे से एक है । उज्जैन महाकाल का मंदिर भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के उज्जैन नगर मे स्थापित है। उज्जैन भारतीय समय की  गणना के लिए केन्द्रीय बिन्दु हुवा करता था, और महाकाल को उज्जैन का विशिष्ट पीठासीन देवता माना जाता था, उज्जैन का महाकालेश्वर मंदिर रहस्योंसे भरा हुवा है. 

 महाकाल मंदिर का उल्लेख कई प्राचीन भारतीय काव्य ग्रंथों मे  मिलता है। इन ग्रंथों के अनुसार यह मंदिर अत्यंत भव्य और इसकी चबूतरा पत्थरों से निर्मित किया गया था। मंदिर लकड़ी के खंबों पे टिका हुवा था। गुप्त काल से पहिले मंदिरों पर कोई शिखर नहीं थे। मंदिरो की छते सपाट होती थी। संभवत: इसी तथ्य के कारण, रघुवंशम मे कालिदास ने इस मंदिर को निकेतन के रूप मे वर्णित किया था। इससे पता चलता है की उज्जैन का मंदिर कितना भव्य और कला कृति, से परिपूर्ण और विशाल मंदिर है।

श्री महाकालेश्वर की महिमा –

  महाकालेश्वर की महिमा का वर्णन शिवपुराण, वेद शास्त्रों मे मिलता है। महाकालेश्वर स्वयंभू, भव्य और दक्षिणमुखी होने के कारण महाकालेश्वर बाबा की अत्यंत पुण्यदाई महत्व और रहस्यमई है। हमारे शास्त्र पुराणों के अनुसार ऐसा मान्यता है की जो भी उज्जैन महाकाल मंदिर जा के महाकालेश्वर का दर्शन करता है, उसके सभी दुख दूर हो जाते है, उसकी हर मनोकामना पूर्ति होती है।  ऐसा माना जाता है की, महाकालेश्वर के दर्शन से मात्र  उस इंसान को मोक्ष की प्राप्ति मिलती है। महाकालेश्वर समय के देवता माने जाते है, समय के देवता, शिवजी अपने सभी वैभव मे, उज्जैन मे शाश्वत शासन करते  है। 

समय का देवता-

महाकालेश्वर को समय के देवता कहते है, महाकाल मे लिंगम स्वयंम से पैदा हुवा स्वयंम के भीतर से शक्ति को प्राप्त करने के लिए माना जाता है। महाकाल मंदिर के ऊपर गर्भगृह मे ओंकारेश्वर शिव की मूर्ति स्थापित है। महाकालेश्वर की मूर्ति दक्षिणमुखी होने के कारण दक्षिणामूर्ति मानी जाती है। गर्भगृह के पश्चिम, उत्तर और पूर्व मे गणेश, पार्वती और कार्तिकेय के मूर्ति स्थापित है, दक्षिण मे नंदी की प्रतिमा है।  

महाकालेश्वर की महिमा का  जितना वर्णन करे उतना कम ही है। उज्जैन मे महाकाल दर्शन के लिए कोई भी मंत्री या कोई राजा, कोई बडा नेता आता है तो व्हो उज्जैन मे  एक रात के लिए भी रुक नहीं सकता, दर्शन के बाद जाना ही पड़ता है। ऐसी मान्यता है की महाकालेश्वर उज्जैन का एकमात्र राजा है। यहाँ का राजा स्वयंम महाकाल है, इसिलिए जब कोई शासक उज्जैन मे रुकता है,  तो उसकी सत्ता चली जाती है। इसिलिए कोई भी शासक यहा रुकनेकी भूल गलती से भी नहीं करता है।

 

ये भी पढे  –

shirdi-wale-sai-baba

siddhivinayak-temple

भस्म आरती –

महाकालेश्वर मंदिर एकलौती ऐसी जगह है, जहा शिवजी को चीता की भस्म से  आरती की जाती है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार महाकाल की आरती रोज स्मशान से लाए हुवे, चीता की ताजी  राख से की जाती है। भस्म आरती के समय महिला उपस्थित नहीं हो सकती। अगर किसी कारणवश वांह कोई महिला उपास्थि है तो उसे घुंघट अनीवार्य है।

 शिवाजी को महाकाल क्यों कहा जाता है –

महाकालेश्वर की नगरी हमेशा से ही काल गणना के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती है। पहिले से ही हमारे ऋषि – मुनि यह मानते आये है की उज्जैन शून्य रेखांश पर स्थित है कर्क रेखा भी इस शहर के ऊपर से गुजरती है। इन्ही विशेषतावों की वजहसे इस प्राचीन नगरी को काल गणना, पंचांग निर्माण और साधना के लिए उज्जैन को सर्वश्रेष्ट माना गया है। काल गणना की वजहसे ही यहा के आरध्य भगवान भोलेनाथ बाबा को महाकाल के नाम से जाना जाता है।

काल याने मृत्यु और महाकाल याने मृत्यु के स्वामी। इसिलिए कहते है की महाकाल की दर्शन से इंसान को मोक्ष की प्राप्ति होती है।   

Exit mobile version