Ram ka Surya Abhishekh: – रामनवमी के दिन रामलाल का ऐसा होगा सूर्य किरणों का सूर्यभिषेक यहाँ जानिए :- रामनवमी के दिन रामलाल के माथे पर कैसे सूर्य की किरणें अभिषेक करेंगे और इस दृश्य को देखने के लिए हर राम भक्त प्रतीक्षा कर रहा है, उनकी इच्छा जल्द ही पूरी होने वाली है। राम नवमी के दिन याने 17 अप्रैल को दोपहर ठीक 12 बजे सूर्य की किरणें सीधे रामलला की मूर्ति पर ऐसी पड़ेंगी जैसे, उनका सूर्य की किरणे अभिषेक कर रही हों।राम जन्मोत्सव पर 4 मिनट तक रामलला के ललाट पर सूर्य की किरणें पड़ेगी और रामलला का सूर्य तिलक होगा। यानि सूर्य की किरणों से रामलला का सूर्य तिलक होगा। इसकी सारी तयारी भी हो जुकी है। राम नवमी पे सहरे राम को सूर्य तिलक करने के लिए जो सिस्टम बनाया गया है उसका परीक्षण सफल हो गया है।
राम मंदिर के निर्माण के समय यह प्रस्ताव रखा गया था कि, वैज्ञानिक विधि से ऐसा प्रबंध किया जाए कि राम नवमी के दिन दोपहर में सूर्य की किरणें सीधे रामलला की मूर्ति पर ऐसी पड़ें, जैसे उनका अभिषेक कर रही हों। तब वैज्ञानिकों ने एक अनोखा सिस्टम तैयार किया है।
आइए जानते हैं कि किस प्रकार से रामलला का सूर्य अभिषेक किया जाएगा।वैज्ञानिको बनाया सिस्टम कैसा काम करेगा
रामनवमी के दिन रामलाल का ऐसा होगा सूर्य किरणों का सूर्यभिषेक
वैज्ञानिकों ने एक अनोखा सिस्टम तैयार किया है। इस प्रोजेक्ट के मुख्य वैज्ञानिक एसके पाणिग्राही ने बताया कि यह सिस्टम मैन्युअल रूप से संचालित होगा और इसे बनाने में सिर्फ पीतल का इस्तेमाल किया गया है। भगवान राम के माथे पर तिलक बनाने वाला सर्कुलर सिर्फ 75 मिमी का होगा। मिरर, लेंस और पीतल के प्रयोग से बने इस सिस्टम के लिए किसी बैटरी या बिजली की जरूरत नहीं होती। वैज्ञानिकों ने इस प्रोजेक्ट को सूर्य रश्मियों का तिलक कहा है।
सूर्य तिलक के लिए, वैज्ञानिको ने एक अनोखा टेक्निक सिस्टम बनाया है।
मंदिर के भूतल पर दो दर्पण और एक लेंस लगाया गया है। सूर्य की रोशनी दूसरे तल पर लगे तीन लेंस और 2 दर्पणों से होते हुए भूतल पर लगाए गए आखिरी दर्पण पर पड़ेगी। इससे परावर्तित होने वाली किरणों से मस्तक पर तिलक बनेगा। यह सूर्य अभिषेक 4 मिनिट का होगा
(विस्तार मे) : – नए सिस्टम से मंदिर के सबसे ऊपर से तीसरे तल पर लगे मिरर पर ठीक 12 बजे सूर्य की किरणे पड़ेंगी। मिरर से 90 डिग्री पर परावर्तित होकर ये किरणे एक पीतल की पाइप मे जाएगी। पाइप के दूसरे नोक पर एक दूसरा मिरर लगा है। इस मिरर से सूर्य की किरणे फिर एक बार परावर्तित होंगी, और पीतल की पाइप से 90 डिग्री पर मूड जाएंगी। दूसरी बार जब किराने परावर्तित होगी तब लम्बवत दिशा मे नीचे की और चलेंगी। रास्ते मे 3 लेनसेस की वजहसे किरणों की तीव्रता और बड़ जाएगी । पाइप के दूसरे छोर पर एक और मिरर लगा है, तीव्रता के साथ आई किरणे इस दर्पण पर जब पड़ेगी तो पुनः 90 डिग्री पर मूड जाएगी। 90 डिग्री पर मुड़ी ये किरणे सीधे रामलला के माथेपर पड़ेंगी। इस तरह श्री राम का सूर्य तिलक संपन्न होगा।
मंदिर के भूतल पर दो दर्पण और एक लेंस लगाया गया है। सूर्य की रोशनी दूसरे तल पर लगे तीन लेंस और 2 दर्पणों से होते हुए भूतल पर लगाए गए आखिरी दर्पण पर पड़ेगी। इससे परावर्तित होने वाली किरणों से मस्तक पर तिलक बनेगा। यह सूर्य अभिषेक 4 मिनिट तक का होगा।
श्री राम के माथेपर 4 मिनिट तक सूर्य किरण अभिषेक करेगा
होगा। यह सूर्य अभिषेक 75 मिमी.का गोलाकार रूप मे होगा। दोपहर ठीक 12 बजे सूर्य की किरणे श्री राम के माथेपर 4 मिनिट तक अभिषेक करेंगी।