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Gudi Padwa 2024: – गुड़ी पाड़वा यह हिन्दुओ का खास और महत्व पूर्ण त्यौहार है।

Gudi Padwa 2024 – अंग्रेजी कैलनडेर के अनुसार इस बार गुड़ी पड़वा 9 अप्रैल 2024 को है। गुड़ी पाड़वा यह हिन्दुओ का खास और महत्व पूर्ण त्यौहार है।  इस दिन हिन्दुओ का नववर्ष का आरम्भ होता है, त्यौहार पुरे भारत भर में मनाया जाता है।  आन्ध्र प्रदेश और कर्नाटक में ‘उगादि’ और महाराष्ट्र में यह  ‘गुड़ी पड़वा’ के नाम से जाना जाता है। उगादी’ के दिन ही पंचांग तैयार होता है।

Gudi Padwa 2024: – गुड़ी पाड़वा हिन्दुओ के लिए क्यों है खास

गुड़ी पड़वा के अवसर पर  घरो में प्रसादम तीर्थ के रूप में बाटा जाता है ये प्रशाद गुड़ और निम के फूल, नमक, कच्चा आम  से बना होता है। कहा जाता है की इसका निराहार सेवन करने से मानव निरोगी बना रहता है. चरम रोग भी दूर होता है। इस में मिली वस्तुए आरोग्यप्रद होती है।   महाराष्ट्र और कर्नाटक में पूरण पोली बनाई जाती है। इस पूरण पोली को दूसरे राज्यों मे  मीठी पूरी भी कहते है। पूरण पोली और आम का रस भगवान को भोग मे अर्पित करते है। और इसके बाद ही कर्नाटक, और महाराष्ट्र में इसी दिन से आम खाया जाता है।  नौ दिन तक मनाया जाने वाला यह त्यौहार दुर्गापूजा के साथ-साथ, रामनवमी को राम और सीता के विवाह के साथ सम्पन्न होता है। इसी दिन ब्रह्माजी ने सृष्टि का निमार्ण किया था. इसमें मुख्य रूप से ब्रह्माजी और और उनके द्वारा निर्मित सृष्टि के प्रमुख देवी-देवताओ के सहित रोगों और उनके उपचारों तक का भी पूजन किया जाता है।  इस दिन से नया संवत्सर शुरू होता है।  इसलिए इस तिथि को नवसंवत्सर भी कहते है। सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक के दिनों, महीनों और वर्षों की गणना करके महान गणितज्ञ भास्कराचार्य ने पंचांग की रचना की थी।वर्ष के साढ़े तिन मुहुतारे में गुड़ी पाड़वा की गिनती होती है।  शालिवाहन शक का प्रारंभ इसी दिन से होता है।

Gudi Padwa 2024: – गुड़ी पाड़वा यह हिन्दुओ का खास और महत्व पूर्ण त्यौहार है।

गुड़ी पाड़वा कैसे मनाया जाता है।

खासकर हिंदुओं में इस दिन गुड़ी पाड़वा का अपना एक विशेष महत्व है। हिंदू पंचांग के अनुसार हर साल चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा को गुड़ी पाड़वा का पर्व मनाया जाता है।अंग्रेजी कैलनडेर के अनुसार इस बार गुड़ी पड़वा 9 अप्रैल 2024 को है.

गुड़ी पाड़वा के दिन सभी परिवार के लोग सुबह जल्दी उठाके नीम के पत्ते पानी मे डालकर स्नान करते है। इस की येसी मान्यता है की नीम के पत्ते से नहाने से काही तरह के रोग नष्ट होते है। स्नान करके नए कपड़े पहनते है, घर मे साफ सफाई रखी जाती है, घर के दरवाजे पे आम के पत्तों का हार लगाके फूलोन से सजाते है। आँगन मे सुंदर रंगोली निकालते है। अपने घर मे इष्ट देवता की आराधन की जाती है। गुड़ी पाड़वा का सबसे जादा महत्व गुड़ी उभारने मे होता है, गुड़ी उभारणे का  मतलब एक लंबी लकड़ी के ऊपर छोटा मिट्टी का बर्तन पूजा सामान के साथ लगाया जाता है, और उसे नई साड़ी पहनाते है, उसि को गुड़ी कहते है। पूरे श्रद्धा भाव से गुड़ी पूजा की जाती है, और पूरण पोली, आम रस, नीम का फूल और गुड़ का मिश्रण का भोग अर्पित करके प्रशाद रूप मे सब को बाटा जाता है।

आने वाले नए साल का स्वागत किया जाता है। गुड़ी उभारने की प्रथा खास कर के महाराष्ट्र मे प्रचलित है। गुड़ी की पूजा कर के गुड़ी को सही दिशा मे एक ऊंची जगह पे बांधते है। गुड़ी उभरना गुड़ी पाड़वा शब्द में “गुड़ी” का अर्थ है विजय ध्वज और “पाड़वा” को प्रतिपदा कहा जाता है। इस त्योहार को “वर्ष प्रतिपदा” या “उगादि” भी कहा जाता है। गुड़ी पड़वा महोत्सव का उत्सव समृद्धि और कल्याण से संबंधित है। इसी दिन से मराठी नववर्ष की शुरुआत भी होती है। नए साल के उन्नति के लिए प्रार्थना की जाती है। घरमे सुख समृद्धि के लिए कामना करके सभी रोग से मुक्ति की भी प्रार्थना करते है। धार्मिक मान्यता अनुसार ऐसा माना जाता है की गुड़ी पाड़वा के दिन पूजा आर्चना करनेसे सभी कष्ट दूर हो जाती है, घर मे सुख समृद्धि आती है, भक्त की हर मानो कामना पूरी हो जाती है।  

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